जीवन मे जिनसे मैं प्रभावित हुई और जिनको थोड़ा बहुत फॉलो किया और पाया कि जीवन खूबसूरत और बेहतर हुआ तो वो ओशो थे !
ओशो
जीवन मे जिनसे मैं प्रभावित हुई और जिनको थोड़ा बहुत फॉलो किया और पाया कि जीवन खूबसूरत और बेहतर हुआ तो वो ओशो थे !
सारे धर्मों, मान्यताओं,धारणाओं से मैं मुक्त हुई ,उनको पढ़कर ।अब मैं कह सकती हूं कि मैं किसी काल्पनिक भगवान को नही मानती ।मैं मंदिरों में भगवान नही खोजती ,न कोई मन्नत मांगती कि मेरा कुछ पूरा हो जाए जीवन में ।मैं प्रार्थना नही करती ।
ओशो कहते थे कि भगवत्ता है ,कोई भगवान नही है ।
ओर भगवत्ता का अर्थ मुझे अब समझ आ रहा है धीरे धीरे ।
ये सारा अस्तित्व हर छोटी सी चीज में भी विधमान है ।छोटा सा फूल भी सारे ब्रह्मांड को समेटे है ।
ये सिर्फ कहने के लिए नही है ,मेने ये बात अनुभव की है ।मेने फूल के पास बैठकर उसको जाना है ।हर चीज को मैने करीब से व्याख्या करके देखा है ।बहुत बार मैं चाय के कप का उदाहरण देती हूं कि ये दूध ,चीनी कहाँ से आए ।जैसे दूध गांय से ,गांय चारा ,चारा धरती से ,सूरज से जुड़ा ,सूरज अन्य ग्रह से जुड़ा ,वो अन्य ग्रह किसी ओर ग्रह के कारण स्पेस में टिके ।
इस प्रकार छोटे से कप में सारा ब्रह्मांड का योगदान है ।
और जब ये बात समझ आती है तो ह्रदय प्रेम से श्रद्धा से भर जाता है ।
समुंदर में रहने वाली व्हेल मछली मल त्याग करती है जिससे ग्लोबल वार्मिंग का खतरा कम होता है ।और भी बहुत सारे जीव है जिनके सहयोग से ये धरा टिकी हुई है ,जिसके कारण सारा यूनिवर्स गतिमान है ।
मुझे अब समझ आ रहा है ये पृथ्वी शेषनाग पर नही टिकी ।ये बच्चो की तरह मूर्खता भरी बातें अब मेने निकाल फेंकि भीतर से ।
डिस्कवरी साइंस ,सोनी bbc देखकर मेने जाना कि इस ग्रह पर कितने अनगिनत तरह के अद्भुत जीव है ।और धरती पर कितनी खूबसूरत अनछुई जगह है ।
मेने जाना कि वो नदियां कितनी सुंदर ,ट्रांसपेरेंट है जिन्हें धार्मिक लोग आस्था के चलते मेला नही करते ।वो पानी कितना प्योर है शुद्ध है जहां मनुष्य का हस्तक्षेप नही है ,वहां कोई सफाई अभियान भी नही चला ,फिर भी नदी शीशे की तरह साफ है ।
मेने अनुभव किया चार दिवारी की बजाय खुला आकाश ज्यादा खुशी देता है ।जिसे हम मंदिर मस्जिद चर्च कहते है वहां तो केवल घुटन है ।
खुले आसमान में ,किसी पहाड़ी पर ,किसी झरने पर ,किसी जंगल मे जाकर जो जागरूकता ,होश ,जो शून्यता आती है ,वो ध्यान है ,मतलब वो मेरा अस्तित्व गत होना है ।
मेने अपने होने को जाना है ।
मेने तोते की तरह रटते नही रही कि मैं शुद्ध बुध आत्मा है ,मैं शरीर नही हूँ ।
मेने ये खुद अनुभव किया कि मेरा शरीर कैसे किन चीजों से बना है ।
अहम ब्रह्मास्मि का मतलब मेने धार्मिक गर्न्थो से नही रटा ।
मेने खुद अनुभव से जाना कि मैं भी सारा अस्तित्व ही हु ।
मेरे होने में सारे अस्तित्व का योगदान है ,जरा सी चूक होती तो मैं न होती ।दूर जो ग्रह मुझे दिखते नही छोटी आंखों से ,अगर उनमे भी हलचल हो तो मेरे भीतर भी बदलाव होता है ।
ये मेने अनुभव से जाना है ।इसको मैं जीती हु हर पल ।
जितना हो सका मेने हिंसा को बन्द किया जीवन से ,मेने गांय को मा कहकर उसके बछड़े के हिस्से का दूध पीना बन्द कर दिया ।मुझे गांय से प्यार है ,उसके प्रति करुणा है ,मुझे धरती के सारे जानवरो से प्रेम है ।इज़लिये मैं उनको नही खाऊंगई।
मुझे फूलों से प्यार है इसलिए मैं उनको नही तोड़ूंगी ।
मुझे इंसानों से मोहबत है मैं उनका कभी नुकसान नही करूँगी ।मैं धरती माँ का दोहन नही करूँगी ।
अहिंसा किताबो में पढ़ने से नही आती ।अहिंसा और प्रेम किताबी ज्ञान नही है ।किसी परवचन को सुनकर हम धार्मिक या अच्छे नही हो सकते ।
हा शुरुआत जरूर हो सकती है जैसे ओशो को पढ़कर मेने शुरुआत करी ।
हर रोज इतना अद्भुत ,अकल्पनीय ,जानकारियां मेरे अनुभव में आती है कि मैं ठगी रह जाती हूँ हर बार ।
ये अस्तित्व आवक कर देता है मुझे ।
और अपनी अज्ञानता ,मूर्खता ,अहंकार पर हर बार हंसती मुस्कुराती हूँ मैं ।
मैं vegan हु ,नास्तिक हु ,प्रेमी हु ,मैं धार्मिक भी हु ,पर परिभाषा मेरी ओर है धार्मिक होने की ।
मैं किसी भी धर्म की फ़ॉलोर नही हु ,पर फिर भी मुझे हर कण में भगवत्ता जानी है ।
कण कण में सारा अस्तित्व है ।ये मैं जानकर कह रही हूं ।
जब मैं इस रहस्यमयी जगह को जानती रहती हूं तो रोमांच बढ़ता रहता है और मैं यहां होकर भी यहां नही होती ।
जिसको भी मेरे नजरिये से धार्मिक होना है वो बुकिंग करा सकते है ।
ध्यान, योग ,कैम्प के लिए ।
जब आपके पास समय हो तब बुकिंग करा सकते है ।कम से कम दस दिन मेरे साथ गुजारे ।और स्वयम में बदलाव देखें ।
विद्रोही व्यक्तित्व
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