एक सुंदर नग्न मूर्ति फ्रान्स मे प्रदर्शित की गई |
एक सुंदर नग्न मूर्ति फ्रान्स मे प्रदर्शित की गई |
वहां के लोगो ने उस मूर्ति की वेहद प्रशंसा की।
बनाने बाले के हाथ चूमे ।
फिर वही मूर्ति जब एशिया के एक महान देश मे प्रदर्शित की गई तो लोग उत्तेजित हो गये। उनको उसमे सिर्फ नग्नता ही दिखायी दी। और उन्होने मूर्ति चकनाचूर कर दी ।
अगर मूर्ति मे वासना होती तो मूर्ति फ्रान्स मे ही टूट जाती।वासना मूर्ति मे नही वासना मन मे थी । और जिस देश के नर के मन मे नग्न स्त्री बसती हो वह देश कभी रचनात्मक नही हो सकता है। वह बालात्कार ही करेगा कोई आविष्कार नही।
कुदरत ने स्त्री और पुरुष को एक दुसरे का पूरक बनाया है। लेकिन इतनी बात महान एशियन को समझ मे नही आती
वह स्त्री और पुरुष को एक साथ बेठे हुये नही देख सकता ।
उन्हें डेट करते हुये नही देख सकता ।
प्रेमी जोडो को प्रताडित किया जाता है।
और नतीजा नर के लिये मादा महत्वपूर्ण हो जाती है।
एक नर के जीवित रहने के लिये स्त्री से ज्यादा जरूरी पानी और हवा है। लेकिन फिर भी एशियन आदमी का दिमाग चैक करोगे तो उसमे हवा पानी की जगह नग्न स्त्री मिलेगी। प्रकृति का धन्यवाद जिसने हवा पानी से इसांन की बुद्धि को मुक्त रखा ।
अगर एशियन जरा से भी समझदार होते तो प्रेम का जरा भी विरोध नही करते । अगर वह प्रेम को सहजता से लेते और सोचते-- दो लोगों का आपसी मामला है हमे क्या ? तो आज इनके दिमाग मे नग्न स्त्री नही सो रही होती।
ओशो
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