Sansar एक धीमा जहर है या एक फटाफट चलने वाला जहर है

 संसार तो मेरा मानना है।  Sansar एक धीमा जहर है या एक फटाफट चलने वाला जहर है। यहां पर हम किसी भी फिलोसॉफिक बातें और तर्कों से लोगों से जीत नहीं सकते हैं क्योंकि एक बात के हजार उत्तर होते हैं और वह हजार उत्तरों के 10000 प्रश्न होते हैं तो यहां पर तो एक अच्छे साधक के लिए तांत्रिक सुंदरवन में जिसकी गौतम बुद्ध विचरण करते थे।उस पर एक साधक को गतिमान अपनी चेतना को जगाए रखना चाहिए। व्यर्थ की बातों में उलझते हैं तो हम भी कुछ उस में रस लेना चाहते हैं। मेरा तो यही कहना है कि इस संसार को छोड़ ही दो अगर हम सच्चे साधक हैं तो क्योंकि हर एक वासना थोड़ा ही दुख देगी तो हमारी मन की शांति भंग होगी ही और अगर हमें पूरा भोगना है तो हमें इसमें डाकुओं की तरह लूटपाट करना चाहिए। हमें एक आतंकवादी बनना चाहिए। गहरे शब्दों में तभी तो हम गहरे रहस्य को जान रखते हैं जो आखिरकार इसके जैसा बनेंगे। उसके जैसा बनेंगे तो उसी को जान पाएंगे। एक सच्चा साधक बहुत भोला इंसान होता है।

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