एक छोटी सी कहानी, फिर मैं दूसरा प्रश्न लूं..।*

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*एक छोटी सी कहानी, फिर मैं दूसरा प्रश्न लूं..।*


*मैंने सुना है कि जब सृष्टि बनी और ईश्वर ने सारी चीजें बनाईं, बड़ी अदभुत कहानी है।* 


*और जब उसने आदमी बनाया, तो वह अपने देवताओं से पूछने लगा कि यह आदमी मुझे बड़ा शिकायती मालूम पड़ता है। यह बन तो गया, लेकिन यह छोटी-छोटी शिकायत लेकर मेरे द्वार पर खड़ा हो जाएगा।* 


*मैंने वृक्ष बनाए, वृक्ष कभी शिकायत लेकर नहीं आए, न वृक्षों ने कभी प्रार्थना की और न शिकायत की। मैंने पशु बनाए, पशु कभी मेरे द्वार पर नहीं आए। पक्षी बनाए, कभी पक्षी मेरे द्वार पर नहीं आए। चांदत्तारे बनाए।* 


*लेकिन यह आदमी मुसीबत का घर है। यह सुबह-शाम चौबीस घंटे द्वार पर दस्तक देगा, कहेगा कि यह करो, यह करो; यह होना चाहिए, वह नहीं होना चाहिए। _इस आदमी से बचने का मुझे कोई उपाय चाहिए।_* 


 *_मैं कहां छिप जाऊं?_*


*तो किसी देवता ने कहा, हिमालय पर छिप जाइए।तो उसने कहा, तुम्हें पता नहीं है, बहुत जल्द वह वक्त आएगा कि हिलेरी और तेनसिंग हिमालय पर चढ़ जाएंगे।*


*तो किसी ने कहा, पैसिफिक महासागर में छिप जाइए।*

*तो उसने कहा, वह भी कुछ काम नहीं चलेगा। जल्दी ही अमेरिकी वैज्ञानिक वहां भी उतर जाएंगे।*


*किसी ने कहा, चांदत्तारे पर बैठ जाइए।*

*उसने कहा, उससे भी कुछ होने वाला नहीं है। जरा ही समय बीतेगा और चांदत्तारों पर आदमी पहुंच जाएगा।*


*_तब एक बूढ़े देवता ने उसके कान में कहा, एक ही रास्ता है, आप आदमी के भीतर छिप जाइए। वहां आदमी कभी नहीं जाएगा।_*


*और ईश्वर ने बात मान ली और आदमी के भीतर छिप गया। और आदमी हिमालय पर भी पहुंच गया, चांदत्तारों पर भी पहुंच जाएगा, पैसिफिक में भी पहुंच गया।* 


*_एक जगह भर छूट गई है जहां आदमी नहीं पहुंचता, वह खुद के भीतर।_*


🏵️🏵️🏵️ *ओशो* 🏵️🏵️🏵️

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